दहलीज हूँ... दरवाजा हूँ... दीवार नहीं हूँ।
एक तो हुस्न कयामत उसपे होठों का लाल होना।
वो लम्हे याद करता हूँ तो लगते हैं अब जहर से।
जब से तुमको देखा है दिल बेकाबू हमारा है,
मैं धीरे-धीरे उनका दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ,
न जाने उससे मिलने का इरादा कैसा लगता है,
भटका हूँ तो क्या हुआ संभालना भी खुद को होगा।
खुदा माना, आप न माने, वो लम्हे गए यूँ ठहर से,
तेरे इशारों पर मैं नाचूं क्या जादू ये तुम्हारा है,
वो किताबें भी जवाब माँगती हैं जिन्हें हम,
कभी उनकी याद आती है कभी उनके ख्वाब आते हैं,
रास्ते पर तो खड़ा हूँ पर चलना shayari in hindi भूल गया हूँ।
मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए।
समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नहीं सकता,