तू ने किसको आबाद किया मुझे बर्बाद करके।
एक तो हुस्न कयामत उसपे होठों का लाल होना।
जहाँ तक रास्माता मालूम था हमसफर चलते गए,
जुल्फें तेरी बादल जैसी आँख में तेरे समंदर है,
कहानियों का सिलसिला बस यूं ही चलता रहा,
वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है।
मुझे सताने के सलीके तो उन्हें बेहिसाब आते हैं,
महफ़िल में रह के भी रहे तन्हाइयों में हम,
सुना है कि महफ़िल में वो बेनकाब आते हैं।
वो किताबें भी जवाब माँगती हैं जिन्हें हम,
हुजूर लाज़िमी है महफिलों में बवाल होना,
रास्ते पर तो खड़ा हूँ पर चलना भूल गया हूँ।
कि पता पूछ रहा हूँ मेरे सपने कहाँ मिलेंगे?
मगर उसका बस नहीं shayari in hindi चलता मेरी वफ़ा के सामने।